मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
Pages
(Move to ...)
Home
प्रकृति की कविताएं
दार्शनिक
छंदयुक्त कविताएँ
प्रेम कविताएँ
स्त्री विमर्श
सामाजिक कविता
▼
Showing posts with label
पृथ्वी का दुःख... पृथ्वी दिवस ... पर्यावरण ... छंदमुक्त कविता
.
Show all posts
Showing posts with label
पृथ्वी का दुःख... पृथ्वी दिवस ... पर्यावरण ... छंदमुक्त कविता
.
Show all posts
Friday, 22 April 2022
पृथ्वी का दुःख
›
वृक्ष की फुनगी से टुकुर-टुकुर पृथ्वी निहारती चिड़िया चिंतित है कटे वृक्षों के लिए...। धूप से बदरंग बाग में बेचैन,उदास तितली चितिंत है फू...
12 comments:
›
Home
View web version