मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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Friday, 30 June 2017
बचपन
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बचपन का ज़माना बहुत याद आता है लौटके न आये वो पल आँखों नहीं जाता है न दुनिया की फिक्र न ग़म का कहीं जिक्र यादों में अल्हड़ नादानी रह रहक...
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