मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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बरखा....प्रकृति.. छंदमुक्त कविता
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Saturday, 22 June 2019
बरखा
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लह-लह,लह लहकी धरती उसिनी पछुआ सहमी धरती सही गयी न नभ से पीड़ा भर आयी बदरी की अँखियाँ लड़ियाँ बूँदों की फिसल गयी टप-टप टिप-टिप बर...
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