मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
Pages
(Move to ...)
Home
प्रकृति की कविताएं
दार्शनिकता
छंदयुक्त कविताएँ
प्रेम कविताएँ
स्त्री विमर्श
सामाजिक कविता
▼
Showing posts with label
बवाल....छंदात्मक कविता
.
Show all posts
Showing posts with label
बवाल....छंदात्मक कविता
.
Show all posts
Wednesday, 17 January 2018
बवाल
›
खुल के कह दी बात दिल की तो बवाल लिख दिये जो ख़्वाब दिल के तो बवाल इधर-उधर से ढ़ूँढते हो रोज़ क़िस्से इश्क़ के हमने लफ़्ज़ों में बयां ...
53 comments:
›
Home
View web version