मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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बूँदभर गंगाजल...छंदमुक्त कविता
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Friday, 8 February 2019
बूँदभर गंगाजल
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मौन के सूक्ष्म तंतुओं से अनवरत रिसता, टीसता,भीगता असहज,असह्य भाव उलझकर खोल की कठोर ,शून्य दीवारों में बेआवाज़ कराहता, ...
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