मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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भूख...छंदमुक्त सामाजिक कविता
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भूख...छंदमुक्त सामाजिक कविता
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Wednesday, 8 April 2020
शायद....!!!
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हो जो पेट भरा तो दिमाग़ निवाले गिन सकता है, भात के दानों से मसल-मसलकर खर-कंकड़ बीन सकता है, पर... भूख का ...
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