मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
Pages
(Move to ...)
Home
प्रकृति की कविताएं
दार्शनिकता
छंदयुक्त कविताएँ
प्रेम कविताएँ
स्त्री विमर्श
सामाजिक कविता
▼
Showing posts with label
मन
.
Show all posts
Showing posts with label
मन
.
Show all posts
Friday, 2 August 2019
#मन#
›
क्षणिकायें ------- जब भी तुम्हारे एहसास पर लिखती हूँ कविता धूप की जीभ से टपके बूँदभर रस से बनने लगता है इंद्रधनुष। सरस...
18 comments:
›
Home
View web version