मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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Wednesday, 18 July 2018
मेरा मन
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ये दर्द कसक दीवानापन ये उलझा बिगड़ा तरसता मन दुनिया से उकताकर भागा तेरे पहलू में आ सुस्ताता मन दो पल को तुम मेरे साथ रहो ...
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