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Wednesday, 18 July 2018

मेरा मन

ये दर्द कसक दीवानापन
ये उलझा बिगड़ा तरसता मन
दुनिया से उकताकर भागा
तेरे पहलू में आ सुस्ताता मन


दो पल को तुम मेरे साथ रहो

तन्हा है तड़पता प्यासा मन
तेरी एक नज़र को बेकल
पल-पल कितना अकुलाता मन


नज़रें तो दर न ओझल हो

तेरी आहट पल-पल टोहता मन
खुद से बातें कभी शीशे से
तुझपे मोहित तुझे पाता मन


तेरी तलब तुझसे ही सुकून

हद में रह हद से निकलता मन
दुनिया के शोर से अंजाना
तुमसे ही बातें करता मन


बेरूख़ तेरे रूख़ से आहत

रूठा-रूठा कुम्हलाता मन
चाहकर भी चाहत कम न हो
बस तुमको पागल चाहता मन

        #श्वेता सिन्हा

37 comments:

  1. वाह बहुत सुंदर रचना 👌

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    1. सादर आभार अनुराधा जी।

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  2. तुमसे ही बातें करता मन
    वआआह...

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    1. आपकी प्रतिक्रिया रचना को.विशेष. बना गयी दी:)

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  3. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 19.7.2018 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3037 में दिया जाएगा

    धन्यवाद

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    1. सादर आभार आदरणीय।

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  4. बहुत ख़ूब ..।
    प्रेम को लिखने भी कितने अलग अन्दाज़ हैं ... बहुत ही ख़ूबसूरत अन्दाज़ ... मन तो पागल है ... चाहत से पार कहाँ पाएगा ...

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    1. सादर आभार आपका नासवा जी।

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  5. वाह! विकल बैचैन मन से खूबसूरत शब्द भाव की धारा..
    बहुत बढिया।

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    1. सादर आभार पम्मी दी:)

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  6. वाह!!! बहुत सुंदर रचना 👌👌👌

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    1. सादर आभार प्रिय नीतू।

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  7. बहुत उम्दा
    मन के भावों का सुंदर चित्रण

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    1. सादर आभार लोकेश जी।
      हृदयतल से शुक्रिया आपका।

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  8. बहुत सुंदर बाँवरे मन की बातें

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    1. सादर आभार दीपाली जी।

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  9. वाह!!श्वेता ,बहुत खूबसूरत भावाभिव्यक्ति !!
    मन की बातें मन ही जाने
    कुछ कुछ तो छुपाता मन ।

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    1. सादर आभार दी:)
      तहेदिल से शुक्रिया आपका।

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  10. वा...व्व...श्वेता,बहुत ही सुंदर भावो को व्यक्त करती अभिव्यक्ति।

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    1. सादर आभार ज्योति दी।

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  11. मन के अंदर चल रही कुलबुलाहट को खुबसूरत शब्दों का साथ मिला.. अंतर्मन की इतनी बारिकियां आप की ही कलम से आ सकती है ..!! बेहतरीन लिखा आपने..!! बधाई आपको।।

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    1. सादर आभार अनु।
      बहुत दिनों बाद आपकी प्रतिक्रिया पाकर अच्छा लगा।

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  12. मन के अंदर चल रहे कुलबुलाहट को खुबसूरत शब्दों का साथ मिला,, अंतर्मन की इतनी बारिकियां आप की ही कलम से आ सकती है बेहतरीन लिखा आपने.. बधाई आपको !!

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    1. बहुत दिन बाद तुम्हारी प्रतिक्रिया पाकर मन.प्रसन्न हो गया।
      बेहद शुक्रिया अनु।

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  13. मनभावों की सुंदर छटा !!!

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    1. सादर आभार दी।
      हृदययल से बेहद शुक्रिया।

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  14. ख़ूबसूरत अन्दाज़ बेहतरीन लिखा आपने...
    Recent Post शब्दों की मुस्कराहट पर मैं अकेला चलता हूँ :)

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    1. सादर आभार संजय जी।
      हृदयतल से बेहद शुक्रिया।

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  15. दुनिया के शोर से अंजाना
    तुमसे ही बातें करता मन

    सुकून देने वाली रचना

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    1. जी शशि जी, आपकी प्रतिक्रिया पाकर हम बहुत खुश हुये मेरी कोई रचना तो आपको पसंद आयी।
      आपकी प्रतिक्रिया मुझे आनंदित कर गयी।
      हृदययल से बेहद आभार आपका।

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  16. वाह श्वेता -- आपकी रचना पढ़ मुझे अपनी रचना याद हो आई --
    दुनिया को बिसरा दिल में बस एक तुम्हे ही याद किया -
    हो चली दूभर जब तन्हाई - मन ने तुमसे संवाद किया -
    पल को भी मन की नम आखों से - ना हो पाए तुम ओझल साथी -
    आस हुई मध्यम संग संग - ये नैना हुए सजल साथी !!!!
    प्रिय के याद में मन के संवाद शब्दों में ढल अप्रितम बन गये हैं |सस्नेह बधाई और मेरा प्यार |

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    1. मेरी प्यारी दी आपकी यह मनमोहक रचना हम पढ़े हैं। बेहद दिलकश लिखा है आपने।
      सादर आभार दी।
      सस्नेह।

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  17. सादर आभार आदरणीय।

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  18. हद में रह हद से निकलता मन
    दुनिया के शोर से अंजाना
    तुमसे ही बातें करता मन..

    बेहद दिलकश। चुभन, कसक, विवशता में अतुलित प्रेम का समिश्रण परोसती शानदार रचना।

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  19. क्या बात है ! क्या बात है ! बेहतरीन सृजन ! बहुत खूब आदरणीया ।

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आपकी लिखी प्रतिक्रियाएँ मेरी लेखनी की ऊर्जा है।
शुक्रिया।