मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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मैं भूल जाना चाहती हूँ....अतुकांत प्रेम कविता
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Sunday, 17 November 2019
मैं भूल जाना चाहती हूँ
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भुलक्कड़ रही सदा से बचपन से ही कभी याद न रख सकी सहेज न सकी कोई कड़ुवाहट सखियों से झगड़ा सगे या चचेरे-ममेरे भाई बहनों से तीखी तकरार ...
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