मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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मैं रहूँ या न रहूँ...छंदमुक्त कविता
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Friday, 12 April 2019
मैं रहूँ या न रहूँ
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कभी किसी दिन तन्हाई में बैठे अनायास ही मेरी स्मृतियों को तुम छुओगे अधरों से झरती कोमल चम्पा की कलियों को समेटकर अँजुरी ...
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