मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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मैं समाना चाहती हूँ...अतुकांत प्रेम कविता
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मैं समाना चाहती हूँ...अतुकांत प्रेम कविता
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Thursday, 18 April 2019
मैं समाना चाहती हूँ
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मैं होना चाहती हूँ वो हवा, जो तुम्हारी साँसों में घुलती है हरपल जीवन बनकर निःशब्द! जाड़ों की गुनगुनी धूप, गर्मियो...
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