मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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मैं से मोक्ष..बुद्ध.... छंदमुक्त कविता..दार्शनिक
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मैं से मोक्ष..बुद्ध.... छंदमुक्त कविता..दार्शनिक
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Thursday, 7 May 2020
मैं से मोक्ष...बुद्ध
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मैं नित्य सुनती हूँ कराह वृद्धों और रोगियों की, निरंतर देखती हूँ अनगिनत जलती चिताएँ परंतु नहीं होता मेरा हृदयपरिवर...
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