मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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मोह-भंग.....छंदमुक्त प्रकृति एवं मन कविता
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Wednesday, 11 December 2019
मोह-भंग
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भोर का ललछौंहा सूरज, हवाओं की शरारत, दूबों,पत्तों पर ठहरी ओस, चिड़ियों की किलकारी, फूल-कली,तितली भँवरे जंगल के चटकीले रंग; ...
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