मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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मौन सुर..छंदमुक्त
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Sunday, 29 September 2019
मौन सुर
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वे नहीं जानते हैं सुर-ताल-सरगम के ध्वनि तरंगों को किसी को बोलते देख अपने कंठ में अटके अदृश्य जाल को तोड़ने की बस निरर्थक च...
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