मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
Pages
(Move to ...)
Home
प्रकृति की कविताएं
दार्शनिकता
छंदयुक्त कविताएँ
प्रेम कविताएँ
स्त्री विमर्श
सामाजिक कविता
▼
Showing posts with label
याद का दोना...प्रकृति..कविता
.
Show all posts
Showing posts with label
याद का दोना...प्रकृति..कविता
.
Show all posts
Wednesday, 23 January 2019
याद का दोना
›
क्षितिज का सिंदूरी आँचल मुख पर फैलाये सूरज सागर की इतराती लहरों पर बूँद-बूँद टपकने लगा। सागर पर पाँव छपछपता लह...
14 comments:
›
Home
View web version