मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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Wednesday, 12 January 2022
आह्वान.. युवा
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गर जीना है स्वाभिमान से मनोबल अपना विशाल करो न मौन धरो ओ तेजपुंज अब गरज उठो हुंकार भरो। बाधाओं से घबराना कैसा? बिन लड़े ही मर जाना कैसा? तुम ...
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