मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
Pages
(Move to ...)
Home
प्रकृति की कविताएं
दार्शनिकता
छंदयुक्त कविताएँ
प्रेम कविताएँ
स्त्री विमर्श
सामाजिक कविता
▼
Showing posts with label
रंग...छंदमुक्त कविता..रंगोत्सव
.
Show all posts
Showing posts with label
रंग...छंदमुक्त कविता..रंगोत्सव
.
Show all posts
Thursday, 17 March 2022
रंग
›
भोर का रंग सुनहरा, साँझ का रंग रतनारी, रात का रंग जामुनी लगता है...। हया का रंग गुलाबी, प्रेम का रंग लाल, हँसी का रंग हरा लगता है...। कल्प...
9 comments:
›
Home
View web version