भोर का रंग सुनहरा,
साँझ का रंग रतनारी,
रात का रंग जामुनी लगता है...।
हया का रंग गुलाबी,
प्रेम का रंग लाल,
हँसी का रंग हरा लगता है...।
कल्पनाओं का रंग नीला,
मन का रंग श्वेत,
उन्माद का रंग नारंगी लगता है..,।
क्रोध का रंग गहरा,
लोभ का रंग धूसर,
जिद का रंग बदरंग लगता है...।
उदासी का कोई रंग नहीं
शायद उदासी
सारे रंग सोख लेती है,
और आँसू ...
सारे रंगों को फीका कर देते हैं।
जीवन में समय के अनुरूप
एक से दूसरे पल में
परिवर्तित होते रंग प्रमाण है
जीवन की क्रियाशीलता का...।
उत्सव का इंद्रधनुषी रंग
हाइलाइट कर देता है जीवन के
कुछ लटों को
खुशियों के रंगों से ...।
#श्वेता सिन्हा
१७ मार्च २०२२