भोर का रंग सुनहरा,
साँझ का रंग रतनारी,
रात का रंग जामुनी लगता है...।
हया का रंग गुलाबी,
प्रेम का रंग लाल,
हँसी का रंग हरा लगता है...।
कल्पनाओं का रंग नीला,
मन का रंग श्वेत,
उन्माद का रंग नारंगी लगता है..,।
क्रोध का रंग गहरा,
लोभ का रंग धूसर,
जिद का रंग बदरंग लगता है...।
उदासी का कोई रंग नहीं
शायद उदासी
सारे रंग सोख लेती है,
और आँसू ...
सारे रंगों को फीका कर देते हैं।
जीवन में समय के अनुरूप
एक से दूसरे पल में
परिवर्तित होते रंग प्रमाण है
जीवन की क्रियाशीलता का...।
उत्सव का इंद्रधनुषी रंग
हाइलाइट कर देता है जीवन के
कुछ लटों को
खुशियों के रंगों से ...।
#श्वेता सिन्हा
१७ मार्च २०२२
उत्सव का इंद्रधनुषी रंग
ReplyDeleteहाइलाइट कर देता है जीवन के
कुछ लटों को
खुशियों के रंगों से ...।
बहुत सुंदर प्रयोग।
उदासी का कोई रंग नहीं
शायद उदासी
सारे रंग सोख लेती है,
और आँसू ...
सारे रंगों को फीका कर देते हैं।
यह भी एकदम सही !!!
बहुत सुंदर
ReplyDeleteआदरणीया श्वेता सिन्हा जी, नमस्ते👏! आपकी रचना ने रंगों के माध्यम से पूरे जीवन दर्शन को अभिव्यक्त कर दिया है। रंगों और उमंगों भरी होली की अशेष शुभकामनाएँ!--ब्रजेंद्रनाथ
ReplyDeleteरंगों के माध्यम से जीवन की सच्चाई को व्यक्त करती बहुत सुंदर रचना, स्वेता दी।
ReplyDeleteरंगों में निहित जीवन के विभिन्न रंगों को आपने बहुत सुंदरता से हाईलाइट किया प्रिय श्वेता अभिनव भाव सृजन।
ReplyDeleteसस्नेह।
समस्त रंगों का संतुलित सम्मिश्रण परावर्तित होकर उत्सवप्रिय रंगों को आनन्द से प्रक्षेपित कर रहा है। जिसमें भींगकर मन भला क्यों न उन्मादी हो?
ReplyDeleteजीवन के हर पल में रंगों की यह बरखा ऐसे ही होती रहे, सुंदर रचना, शुभकामनाएँ!
ReplyDeleteउदासी का कोई रंग नहीं
ReplyDeleteशायद उदासी
सारे रंग सोख लेती है,
और आँसू ...
सारे रंगों को फीका कर देते हैं।
रंगों की सुन्दर मीमांसा ......
यूँ जीवन में हर रंग अपनी महत्ता रखते हैं ...चाहे वो उल्लास का हो या फिर उदासी का .... बेहतरीन रचना ...
सुन्दर और भावपूर्ण प्रस्तुति प्रिय श्वेता।रंगों से जीवन के रंग हैं।
ReplyDeleteहर भावना को रंगों से जोडती रचना के लिए बधाई और शुभकामनाएं।