मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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रिश्ता अन्जाना हो गया....लयबद्ध कविता
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Thursday, 30 March 2017
रिश्ता अन्जाना हो गया
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तुमसे बिछड़े तो इक ज़माना हो गया, जख्म दिल का कुछ पुराना हो गया। टीसती है रह रहकर यादें बेमुरव्वत, तन्हाई का खंज़र कातिलाना हो गया। ...
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