तुमसे बिछड़े तो इक ज़माना हो गया,
जख्म दिल का कुछ पुराना हो गया।
टीसती है रह रहकर यादें बेमुरव्वत,
तन्हाई का खंज़र कातिलाना हो गया।
नमी पलकों की पूछती है दरोदिवारों से,
हर आहट से क्यूँ रिश्ता अन्जाना हो गया।
लहर मोहब्बत की नहीं उठती है दरिया में,
अब साहिल ही समन्दर से बेगाना हो गया।
रोज ही टूटकर बिखरते है फूल सेहरा में,
बहारों का न आना तो इक बहाना हो गया।
#श्वेता🍁
जख्म दिल का कुछ पुराना हो गया।
टीसती है रह रहकर यादें बेमुरव्वत,
तन्हाई का खंज़र कातिलाना हो गया।
नमी पलकों की पूछती है दरोदिवारों से,
हर आहट से क्यूँ रिश्ता अन्जाना हो गया।
लहर मोहब्बत की नहीं उठती है दरिया में,
अब साहिल ही समन्दर से बेगाना हो गया।
रोज ही टूटकर बिखरते है फूल सेहरा में,
बहारों का न आना तो इक बहाना हो गया।
#श्वेता🍁