मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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रोमांटिक १.सोचती हूँ अक़्सर...प्रेम कविता
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रोमांटिक १.सोचती हूँ अक़्सर...प्रेम कविता
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Thursday, 16 February 2017
सोचती हूँ अक्सर..
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सोचती हूँ अक्सर तुम गुजरो कभी मुझमें होकर छूकर एहसास मेरे कभी देखो नज़रभर कभी चुन लो मुझे मोतियों की तरह उठा लो अंजुरी भर फिर बैठकर ...
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