मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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शिला....अतुकांत दार्शनिक कविता
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Monday, 26 August 2019
शिला
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निर्जीव और बेजान निष्ठुरता का अभिशाप लिये मूक पड़ी है सदियों से स्पंदनहीन शिलाएँ अनगिनत प्रकारों में गढ़ी जाती मनमा...
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