मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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Tuesday, 26 September 2017
समन्दर का स्वप्न
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चित्र साभार-गूगल मौन होकर अपलक ताकते हुये मचलती ख़्वाहिशों के, अनवरत ठाठों से व्याकुल समन्दर अक्सर स्वप्न देखता है। खार...
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