मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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Monday, 18 May 2020
साँझ
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पेड़ की फुनगी में दिनभर लुका-छिपी खेलकर थका, डालियों से हौले से फिसलकर तने की गोद में लेटते ही सो जाता है, उनींदा,अलसा...
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