मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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Wednesday 29 September 2021
स्त्रियोंं ने जिलाए रखा है
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संवेदना से भरी साधारण स्त्रियाँ अपनी भावनाओं को ज्ञानेंद्रियों से ज्यादा महसूसती है स्नेहिल रिश्तों को नाजुक डोर की पक्की गाँठ से बाँधकर ...
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Sunday 12 November 2017
कविताएँ रची जाती.....
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मन के विस्तृत आसमान पर भावों के पंछी शोर मचाते है, उड़-उड़ कर जब मन के सारे मनकों को फैलाते हैं, शब्दों के बिखरे मोती चुन-...
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Saturday 14 October 2017
रोहिंग्या
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रोहिंग्या इस विषय पर आप क्या सोचते है...कृपया अपने विचारों से जरूर अवगत करवाये। -------- कौन है रोहिंग्या मुसलमान म्यांमार में करीब ...
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