मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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Thursday, 24 October 2019
सफ़र जीवन का....
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सफ़र जीवन का यूँ अनवरत चलता रहा अंधेरों में मन के विश्वास दीप जलता रहा जख़्म छूकर पूछ बैठे चोट ये कैसे लगी? दर्द मन का बूँद बनकर...
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