मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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ख़्यालों में कोई....अतुकांत कविता
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Sunday, 10 December 2017
ख़्यालों में कोई
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शाख़ से टूटने के पहले एक पत्ता मचल रहा है। उड़ता हुआ थका वक्त, आज फिर से बदल रहा है। गुजरते सर्द लम्हों की ख़ामोश शिकायत पर ...
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