मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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Thursday, 16 November 2017
ख्याल
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साँझ की गुलाबी आँखों में, डूबती,फीकी रेशमी डोरियों के सिंदूरी गुच्छे, क्षितिज के कोने के स्याह कजरौटे में समाने लगे, द...
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