मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
Pages
(Move to ...)
Home
प्रकृति की कविताएं
दार्शनिकता
छंदयुक्त कविताएँ
प्रेम कविताएँ
स्त्री विमर्श
सामाजिक कविता
▼
Showing posts with label
३.यादें....विरह कविता
.
Show all posts
Showing posts with label
३.यादें....विरह कविता
.
Show all posts
Thursday, 16 February 2017
यादें
›
ये साँसों से लिपटी हुई गमों की गर्द दिल की बेवजह तड़प रह रह कर कसकती चाह कर भी नहीं मिटती बाँध रखा हो मानो अपनी परछाई से तोड़कर सारी ज...
›
Home
View web version