मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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Friday, 17 March 2017
एक नया सवेरा
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नीले समन्दर में सूरज का डेरा फिर हो गया है हसींं इक सवेरा बुझ गया चंदा बुझ गये दीपक रात तक रुक गया ख़्वाबों का फेरा मोड़कर सिरहाने...
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Thursday, 16 March 2017
रात भर जागेगा कोई
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चाँद को तकते आहें भरते भरते आज फिर रातभर जागेगा कोई ख्यालों में गुम चाँदनी में मचलते दीदारे यार की दुआ माँगेगा कोई जब जब छुएँगी ये ...
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Wednesday, 15 March 2017
टूटा ख्वाब
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तेरी निगाहों के नूर से दिल मेरा मगरूर था भरम टूटा तो जाना ये दो पल का सुरूर था परिंदा दिल का तेरी ख्वाहिश में मचलता रहा नादां न समझ प...
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Tuesday, 14 March 2017
एक ख्वाब
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ओ हसीन तन्हा चाँद ओ झिलमिल सितारों उतर आओ जमीं पर रात के खामोश दामन पर महफिल हम जमायेगे चंदा तुम फूलों को चूमकर अपनी दिल की बात कहन...
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Sunday, 12 March 2017
होली के रंग
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हृदय भरा उल्लास हथेलियों में मल रंग लिये, सुगंधहीन पलाश बिखरी तन में मादक गंध लिये। जला के ईष्या,द्वेष की होलिका राख मले मतवारे, रंग-गुल...
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Friday, 10 March 2017
आँख में पानी रखो
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आँख में थोड़ा पानी होठों पे चिंगारी रखो ज़िदा रहने को ज़िदादिली बहुत सारी रखो राह में मिलेगे रोड़े,पत्थर और काँटें भी बहुत सामना कर हर ब...
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Tuesday, 21 February 2017
ब्लॉग की सालगिरह.... चाँद की किरणें
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सालभर बीत गये कैसे...पता ही न चला। हाँ आज ही के दिन १६फरवरी२००१७ को पहली बार ब्लॉग पर लिखना शुरु किये थे। कुछ पता नहीं था ब्लॉग के बारे ...
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धागा चाँदनी का
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तोड़कर धागा चाँदनी के टूटे ख्वाबों को सी लूँ भरकर चाँद का एक कोना दर्द सारे आँखों से पी लूँ सर्द हवाएँ जो तुमको छू आयी आगोश भर एहसा...
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