मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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Saturday, 24 June 2017
उदासी तुम्हारी
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पल पल तुझको खो जीकर बूँद बूँद तुम्हें हृदय से पीकर एहसास तुम्हारा अंजुरी में भर अनकहे तुम्हारी पीड़ा को छूकर इन अदृश्य हवाओं में घुले ...
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Friday, 23 June 2017
एक दिन
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खुद को दिल में तेरे छोड़ के चले जायेगे एक दिन तुम न चाहो तो भी बेसबब याद आयेगे एक दिन जब भी कोई तेरे खुशियों की दुआ माँगेगा रब से फूल...
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Thursday, 22 June 2017
रिश्ते
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रिश्ते बाँधे नहीं जा सकते बस छुये जा सकते है नेह के मोहक एहसासों से स्पर्श किये जा सकते है शब्दों के कोमल उद्गारों से रिश्ते दरख्त न...
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बरखा ऋतु
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तपती प्यासी धरा की देख व्यथित अकुलाहट भर भर आये नयन मेघ के बूँद बूद कर टपके नभ से थिरके डाल , पात शाखों पे टप टप टिप टिप पट पट राग ...
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Tuesday, 20 June 2017
चुपके से
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चुपके से उतरे दिल में हंसी लम्हात दे गये पलकें अभी भी है भरी वो बरसात दे गये भर लिए ख्वाब आँखों मे न पूछा तुमसे चंद यादों के बदले दर...
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Sunday, 18 June 2017
मेरी बिटिया के पापा
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कल रात को अचानक नींद खुल गयी, बेड पर तुम्हें न पाकर मिचमिचाते आँखों से सिरहाने रखा फोन टटोलने कर टाईम देखा तो 1:45 a.m हो रहे थे।बेडरूम क...
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Saturday, 17 June 2017
मौन
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बस शब्दों के मौन हो जाने से न बोलने की कसम खाने से भाव भी क्या मौन हो जाते है?? नहीं होते स्पंदन तारों में हिय के एहसास भी क्या मौन ह...
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Friday, 16 June 2017
एक बार फिर से
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मैं ढलती शाम की तरह तू तनहा चाँद बन के मुझमे बिखरने आ जा बहुत उदास है डूबती साँझ की गुलाबी किरणें तू खिलखिलाती चाँदनी बन मुझे आगोश ...
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