मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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Friday, 18 August 2017
युद्ध
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(1) जीवन मानव का हर पल एक युद्ध है मन के अंतर्द्वन्द्व का स्वयं के विरुद्ध स्वयं से सत्य और असत्य के सीमा रेखा पर झूलते असंख्...
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Thursday, 17 August 2017
तन्हाई के पल
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तन्हाई के उस लम्हें में जब तुम उग आते हो मेरे भीतर गहरी जड़े लिये काँटों सी चुभती छटपटाहटों में भी फैल जाती है भीनी भीनी सुर्ख गुल...
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Wednesday, 16 August 2017
सोये ख्वाबों को
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सोये ख्वाबों को जगाकर चल दिए आग मोहब्बत की जलाकर चल दिए खुशबू से भर गयी गलियाँ दिल की एक खत सिरहाने दबाकर चल दिये रात भर चाँद करत...
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Tuesday, 15 August 2017
उड़े तिरंगा शान से
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उन्मुक्त गगन के भाल पर उड़े तिरंगा शान से कहे कहानी आज़ादी की लहराये सम्मान से रक्त से सींच रहे नित जिसे देकर अपने बहुमूल्य प्राण रख...
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Sunday, 13 August 2017
कान्हा जन्मोत्सव
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कान्हा जन्मोत्सव की शुभकामना एँ भरी भरी टोकरी गुलाब की कान्हा पे बरसाओ जी बेला चंपा के इत्र ले आओ इनको स्नान कराओ जी मोर मुक...
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तुम एक भारतवासी हो
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*चित्र साभार गूगल* किसी जाति धर्म के हो किसी राज्य के वासी हो कभी न भूलो याद रखो तुम एक भारतवासी हो खेत हमारी अन्नपूर्णा जीवन हरा ...
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Friday, 11 August 2017
भूख
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*चित्र साभार गूगल* भूख एक शब्द नहीं स्वयं में परिपूर्ण एक संपूर्ण अर्थ है। कर्म का मूल आधार है भूख बदले हुये स्थान और भाव के सा...
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Wednesday, 9 August 2017
"छोटू"
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आज़ादी का जश्न मनाने के पहले एक नज़र देखिये कंधे पर फटकर झूलती मटमैली धूसर कमीज चीकट हो चुके धब्बेदार नीली हाफ पैंट पहने जूठी प्यालि...
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