मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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Friday, 22 September 2017
हरसिंगार
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नीरव निशा के प्रांगन में हैं सर सर मदमस्त बयार, महकी वसुधा चहका आँगन खिले हैं हरसिंगार। निसृत अमृत बूँदे टपकी जले चाँद की...
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Thursday, 21 September 2017
भगवती नमन है आपको
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जय माता की🍁 शक्तिरूपा जगतव्यापिनी, भगवती नमन है आपको। तेजोमय स्वधा महामायी ,भगवती नमन है आपको। दिव्य रूप से मोहती, मुख प्रखर रश्मि ...
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Tuesday, 19 September 2017
कास के फूल
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शहर के बाहर खाली पड़े खेत खलिहानों में,बिछी रेशमी सफेद चादर देखकर मन मंत्रमुग्ध हो गया।जैसे बादल सैर पर निकल आये हो।लंबे लंबे घास के पौधे ...
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Monday, 18 September 2017
तकदीर की रेखा
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वो जो फिरते है लोग फटे चीथड़े लपेटे मलिन चेहरे पर निर्विकार भाव ओढ़े, रूखे भूरे बिखरे बालों का घोंसला ढोते, नंगे पाँव , दोरंग...
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Sunday, 17 September 2017
साथ तुम्हारे हूँ
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निर्मल,कोमल, उर प्रीत भरी हूँ वीतरागी,शशि शीत भरी, मैं पल पल साथ तुम्हारे हूँ। रविपूंजों की जलती ज्वाला ले लूँ आँचल में,छाँव करू...
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Friday, 15 September 2017
तुम ही तुम
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तुम ही तुम छाये हो ख़्वाबों ख़्यालों में दिल के शजर के पत्तों में और डालों में लबों पे खिली मुस्कान तेरी जानलेवा है चाहती हूँ दिल टाँक...
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Wednesday, 13 September 2017
हिंदी
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बचपन से जाना है हिंदी भारत के भाल पर बिंदी राष्ट्र की खास पहचान हिंदी भाषी अपना नाम गोरो ने जो छोड़ी धरोहर उसके आगे हुई है चिंदी ह...
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Monday, 11 September 2017
चाँद
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*चित्र साभार गूगल* मुक्तक चाँद आसमान से बातें करता ऊँघने लगा अलसाकर बादलों के पीछे आँखें मूँदने लगा नीरवता रात की मुस्कुरायी सित...
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