मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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Saturday, 30 September 2017
रावण दहन
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हर बर्ष मन की बुराइयों को मिटाकर श्री राम के आदर्शों पर चलने का संकल्प करते है पुतले के संग रावण की, हृदय की बुराइयों को जलाकर...
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Thursday, 28 September 2017
नारी हूँ मै
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सृष्टि के सृजन का अधिकार प्रभु रूप सम एक अवतार नारी हूँ मैं धरा पर बिखराती कण कण में खुशबू, सुंगध बहार, आदर्श और नियमोंं...
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Tuesday, 26 September 2017
समन्दर का स्वप्न
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चित्र साभार-गूगल मौन होकर अपलक ताकते हुये मचलती ख़्वाहिशों के, अनवरत ठाठों से व्याकुल समन्दर अक्सर स्वप्न देखता है। खार...
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Friday, 22 September 2017
हरसिंगार
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नीरव निशा के प्रांगन में हैं सर सर मदमस्त बयार, महकी वसुधा चहका आँगन खिले हैं हरसिंगार। निसृत अमृत बूँदे टपकी जले चाँद की...
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Thursday, 21 September 2017
भगवती नमन है आपको
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जय माता की🍁 शक्तिरूपा जगतव्यापिनी, भगवती नमन है आपको। तेजोमय स्वधा महामायी ,भगवती नमन है आपको। दिव्य रूप से मोहती, मुख प्रखर रश्मि ...
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Tuesday, 19 September 2017
कास के फूल
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शहर के बाहर खाली पड़े खेत खलिहानों में,बिछी रेशमी सफेद चादर देखकर मन मंत्रमुग्ध हो गया।जैसे बादल सैर पर निकल आये हो।लंबे लंबे घास के पौधे ...
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Monday, 18 September 2017
तकदीर की रेखा
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वो जो फिरते है लोग फटे चीथड़े लपेटे मलिन चेहरे पर निर्विकार भाव ओढ़े, रूखे भूरे बिखरे बालों का घोंसला ढोते, नंगे पाँव , दोरंग...
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Sunday, 17 September 2017
साथ तुम्हारे हूँ
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निर्मल,कोमल, उर प्रीत भरी हूँ वीतरागी,शशि शीत भरी, मैं पल पल साथ तुम्हारे हूँ। रविपूंजों की जलती ज्वाला ले लूँ आँचल में,छाँव करू...
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