मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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Friday, 9 February 2018
पंखुड़ियाँ
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पंखुड़ियाँ 24 कहानी 24 लेखक आप सभी को यह बताते हुये हर्ष हो रहा है कि डिजिटल कहानी संग्रह "पंखुड़ियाँ" में मेरी भी कहानी ...
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Wednesday, 7 February 2018
वो गुम रहे
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वो गुम रहे अपने ही ख़्यालों की धूल में करते रहे तलाश जिन्हें फूल-फूल में गीली हवा की लम्स ने सिहरा दिया बदन यादों ने उनकी छू लि...
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Friday, 2 February 2018
कोमल मन हूँ मैं
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ज्योति मैं पूजा की पावन गीतिका की छंद हूँ मैं धरा गगन के मध्य फैली एक क्षितिज निर्द्वन्द्व हूँ मैं नभ के तारों में नहीं हूँ ना च...
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Tuesday, 30 January 2018
इंद्रधनुष
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मौन की चादर डाले नीले आसमान पर छींटदार श्वेत बादलों की छाँव में बाँह पसारे हवाओं के संग बहते परिंदे मानो वक़्त के समुन्द...
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Sunday, 28 January 2018
तितली
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मुद्दतों बाद आज फिर से भूली-बिसरी राहों से गुज़रते हरे मैदान के उपेक्षित कोने में गुलाब क...
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Friday, 26 January 2018
पुस्तक समीक्षा:प्रिज़्म से निकले रंग
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पुस्तक समीक्षा काव्य संग्रह-प्रिज़्म से निकले रंग कवि - रवीन्द्र सिंह यादव प्रकाशक - ऑन लाइन गाथा मूल...
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Wednesday, 24 January 2018
गणतंत्र यानि...
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चलो फिर से देशभक्ति की रस्म़ अदा करते है जश्न एक दिन की छुट्टी का जैसे सदा करते है देशभक्ति के गाने सुने झंडा फ़हरते देखे लाइव ...
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Saturday, 20 January 2018
बसंत
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भाँति-भाँति के फूल खिले हैं रंग-बिरंगी लगी फुलवारी। लाल,गुलाबी,हरी-बसंती महकी बगिया गुल रतनारी।। स्वर्ण मुकुट सुरभित वन उपवन ...
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