मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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Wednesday, 18 August 2021
बौद्धिक आचरण
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बर्बरता के शिकार रक्तरंजित,क्षत-विक्षत देह, गिरते-पडते,भागते-कूदते दहशत के मारे आत्महत्या करने को आमादा लोगों की तस्वीरों के भीतर की सच की...
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Sunday, 15 August 2021
प्रणाम...(शहीदों को )
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करती हूँ प्रणाम उनको,शीश नत सम्मान में है, प्राण दे,इतिहास के पृष्ठों में अंकित हो गये जिनकी लहू की बूँद से माँ धरा पावन हुई माटी बिछौना ओढ़ ...
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Wednesday, 28 July 2021
कठपुतलियाँ
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मुंडेर पर दाना चुगने आती चिडियों के टूटे पंख इकट्ठा करती, नभ में उड़ते देख उनके कलरव पर आनंदित होती मैं चिड़िया हो जाना चाहती हूँ, मुझे चिड़िया...
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Sunday, 18 July 2021
नन्ही बुलबुल
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कच्ची उमर के पकते सपने महक जाफ़रानी घोल रही है। घर-आँगन की नन्ही बुलबुल हौले-हौले पर खोल रही है। मुस्कान,हँसी,चुहलबाज़ी मासूम खेल की अनगिनी ब...
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Sunday, 11 July 2021
प्रेम में डूबी स्त्री
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चित्र : मनस्वी ------------------ प्रेम में डूबी स्त्री---- प्रसिद्ध प्रेमकाव्यों की बेसुध नायिकाओं सी किसी तिलिस्मी झरने में रात-रातभर ...
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Sunday, 4 July 2021
जूझना होगा
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ख़ त्म हो रही आशाओं से ठहरने की विनती करना व्यर्थ है, उन्हें रोकने के लिए जूझना होगा नैराश्य से आशा को निराशा के जबड़े से खींचते समय उसकी नुकी...
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Saturday, 24 April 2021
आत्मा
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आत्मा को ललकारती चीत्कारों को अनसुना करना आसान नहीं होता ... इन दिनों सोचने लगी हूँ एक दिन मेरे कर्मों का हिसाब करती प्रकृति ने पूछा कि- महा...
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Sunday, 18 April 2021
वक़्त के अजायबघर में
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वक़्त के अजायबघर में अतीत और वर्तमान प्रदर्शनी में साथ लगाये गये हैं- ऐसे वक़्त में जब नब्ज़ ज़िंदगी की टटोलने पर मिलती नहीं, साँसें डरी-सहमी ह...
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