मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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Sunday, 19 December 2021
बदलाव का ढोंग
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अंधपरंपराओं पर लिखी गयी प्रसिद्ध पुस्तकें, घिसी-पिटी रीति-रिवाज़ों पर आधारित दैनंदिन जीवन के आडंबर पर प्रस्तुत शोधपत्र लेख,कहानियां, कविताओं...
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Thursday, 16 December 2021
समय का आलाप
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शरद में अनगिनत फूलों का रंग निचोड़कर बदन पर नरम शॉल की तरह लपेटकर ओस में भीगी भोर की नशीली धूप सेकती वसुधा, अपने तन पर फूटी तीसी की नाजुक न...
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Wednesday, 8 December 2021
सुनो सैनिक
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सुनो सैनिक तुम्हारे रक्त का चंदन लगाकर मातृभूमि शृंगार करती है। कहानी शौर्य की अविश्वसनीय वीरता की गाथाएँ अचंभित, सुनकर, पढ़कर, गर्वित होकर...
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Thursday, 2 December 2021
उम्मीद
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बेतरतीब उगी हुई घनी जंगली घास-सा दुख जिसके नीरस अंतहीन छोर के उस पार कहीं दूर से किसी हरे पेड़ की डाल पर बोलती सुख की चिड़िया का मद्धिम स्वर ...
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Thursday, 25 November 2021
जो मिल न सका
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साँसों की लय पर चल रही हूँ ज़िंदगी की रगो में पर किसी की साँसें न हो सकी। किसी के मन की ख़्वाहिशों की ढेर में शामिल अपनी बारी की प्रतीक्षा मे...
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Friday, 8 October 2021
नवरात्र
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माँ इस सृष्टि का सबसे कोमल,स्नेहिल, पवित्र, शक्तिशाली ,सकारात्मक एवं ऊर्जावान भाव,विचार या स्वरूप है। सूर्य,चंद्र,अग्नि,वायु,वरूण,यम इत्...
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Wednesday, 29 September 2021
स्त्रियोंं ने जिलाए रखा है
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संवेदना से भरी साधारण स्त्रियाँ अपनी भावनाओं को ज्ञानेंद्रियों से ज्यादा महसूसती है स्नेहिल रिश्तों को नाजुक डोर की पक्की गाँठ से बाँधकर ...
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Wednesday, 22 September 2021
तुमसे प्रेम करते हुए-(२)
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(१) -------------------- भोर की पहली किरण फूटने पर छलकी थी तुम्हारी मासूम मुस्कान की शीतल बूँदें जो अटकी हैं अब भी मेरी पलकों के भीतरी तह...
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