मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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Thursday, 24 March 2022
अल्पसंख्यक
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विश्व के इतिहास में दर्ज़ अनगिनत सभ्यताओं में भीड़ की धक्का-मुक्की से अलग होकर अपनी नागरिकता की फटी प्रतियाँ लिए देशों,महादेशों, समय के मध्यां...
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Thursday, 17 March 2022
रंग
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भोर का रंग सुनहरा, साँझ का रंग रतनारी, रात का रंग जामुनी लगता है...। हया का रंग गुलाबी, प्रेम का रंग लाल, हँसी का रंग हरा लगता है...। कल्प...
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Wednesday, 9 March 2022
क्यों अधिकार नहीं...
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समय के माथे पर पड़ी झुर्रियाँ गहरी हो रही हैं। अपनी साँसों का स्पष्ट शोर सुन पाना जीवन-यात्रा में एकाकीपन के बोध का सूचक है। इच्छाओं की चार...
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Thursday, 24 February 2022
युद्ध...
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युद्ध की बेचैन करती तस्वीरों को साझा करते न्यूज चैनल, समाचारों को पढ़ते हुए उत्तेजना से भरे हुए सूत्रधार शांति-अशांति की भविष्यवाणी, समझौ...
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Sunday, 13 February 2022
प्रेम.....
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बनते-बिगड़ते,ठिठकते-बहकते तुम्हारे मन के अनेक अस्थिर, जटिल भाव के बीच सबसे कोमल स्थायी एहसास बनकर निरंतर तुम्हारे साथ रहना चाहती हूँ मैं... ...
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Thursday, 10 February 2022
एकमात्र विकल्प
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रश्मि पुंज निस्तेज है मुखौटों का तेज है सुन सको तो सुनो चेहरा पढ़ने में असमर्थ आँखों का मूक आर्तनाद। झुलस रही है तिथियाँ श्रद्धांजलि रीत...
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Tuesday, 25 January 2022
भविष्य के बच्चे
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1949 में जन्मे बच्चों की गीली स्मृतियों में उकेरे गये कच्ची मिट्टी, चाभी वाले, डोरी वाले कुछ मनोरंजक खिलौने, फूल,पेड,तितलियाँ, चिडियों,घोंसल...
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Wednesday, 19 January 2022
बेचैनियाँ
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हर अभिव्यक्ति के बाद बची हुई अभिव्यक्ति में भावों की गहराई में छुपी अव्यक्तता की अनुभूति सदैव जताती है अभिव्यक्ति के अधूरेपन के समुच्चय को अ...
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