ये दर्द कसक दीवानापन
ये उलझा बिगड़ा तरसता मन
दुनिया से उकताकर भागा
तेरे पहलू में आ सुस्ताता मन
दो पल को तुम मेरे साथ रहो
तन्हा है तड़पता प्यासा मन
तेरी एक नज़र को बेकल
पल-पल कितना अकुलाता मन
नज़रें तो दर न ओझल हो
तेरी आहट पल-पल टोहता मन
खुद से बातें कभी शीशे से
तुझपे मोहित तुझे पाता मन
तेरी तलब तुझसे ही सुकून
हद में रह हद से निकलता मन
दुनिया के शोर से अंजाना
तुमसे ही बातें करता मन
बेरूख़ तेरे रूख़ से आहत
रूठा-रूठा कुम्हलाता मन
चाहकर भी चाहत कम न हो
बस तुमको पागल चाहता मन
#श्वेता सिन्हा
सुंदर भाव
ReplyDeleteजी, सादर आभार।
Deleteवाह बहुत सुंदर रचना 👌
ReplyDeleteसादर आभार अनुराधा जी।
Deleteतुमसे ही बातें करता मन
ReplyDeleteवआआह...
आपकी प्रतिक्रिया रचना को.विशेष. बना गयी दी:)
Deleteआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 19.7.2018 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3037 में दिया जाएगा
ReplyDeleteधन्यवाद
सादर आभार आदरणीय।
Deleteबहुत ख़ूब ..।
ReplyDeleteप्रेम को लिखने भी कितने अलग अन्दाज़ हैं ... बहुत ही ख़ूबसूरत अन्दाज़ ... मन तो पागल है ... चाहत से पार कहाँ पाएगा ...
सादर आभार आपका नासवा जी।
Deleteवाह! विकल बैचैन मन से खूबसूरत शब्द भाव की धारा..
ReplyDeleteबहुत बढिया।
सादर आभार पम्मी दी:)
Deleteवाह!!! बहुत सुंदर रचना 👌👌👌
ReplyDeleteसादर आभार प्रिय नीतू।
Deleteबहुत उम्दा
ReplyDeleteमन के भावों का सुंदर चित्रण
सादर आभार लोकेश जी।
Deleteहृदयतल से शुक्रिया आपका।
बहुत सुंदर बाँवरे मन की बातें
ReplyDeleteसादर आभार दीपाली जी।
Deleteवाह!!श्वेता ,बहुत खूबसूरत भावाभिव्यक्ति !!
ReplyDeleteमन की बातें मन ही जाने
कुछ कुछ तो छुपाता मन ।
सादर आभार दी:)
Deleteतहेदिल से शुक्रिया आपका।
वा...व्व...श्वेता,बहुत ही सुंदर भावो को व्यक्त करती अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteसादर आभार ज्योति दी।
Deleteमन के अंदर चल रही कुलबुलाहट को खुबसूरत शब्दों का साथ मिला.. अंतर्मन की इतनी बारिकियां आप की ही कलम से आ सकती है ..!! बेहतरीन लिखा आपने..!! बधाई आपको।।
ReplyDeleteसादर आभार अनु।
Deleteबहुत दिनों बाद आपकी प्रतिक्रिया पाकर अच्छा लगा।
मन के अंदर चल रहे कुलबुलाहट को खुबसूरत शब्दों का साथ मिला,, अंतर्मन की इतनी बारिकियां आप की ही कलम से आ सकती है बेहतरीन लिखा आपने.. बधाई आपको !!
ReplyDeleteबहुत दिन बाद तुम्हारी प्रतिक्रिया पाकर मन.प्रसन्न हो गया।
Deleteबेहद शुक्रिया अनु।
मनभावों की सुंदर छटा !!!
ReplyDeleteसादर आभार दी।
Deleteहृदययल से बेहद शुक्रिया।
ख़ूबसूरत अन्दाज़ बेहतरीन लिखा आपने...
ReplyDeleteRecent Post शब्दों की मुस्कराहट पर मैं अकेला चलता हूँ :)
सादर आभार संजय जी।
Deleteहृदयतल से बेहद शुक्रिया।
दुनिया के शोर से अंजाना
ReplyDeleteतुमसे ही बातें करता मन
सुकून देने वाली रचना
जी शशि जी, आपकी प्रतिक्रिया पाकर हम बहुत खुश हुये मेरी कोई रचना तो आपको पसंद आयी।
Deleteआपकी प्रतिक्रिया मुझे आनंदित कर गयी।
हृदययल से बेहद आभार आपका।
वाह श्वेता -- आपकी रचना पढ़ मुझे अपनी रचना याद हो आई --
ReplyDeleteदुनिया को बिसरा दिल में बस एक तुम्हे ही याद किया -
हो चली दूभर जब तन्हाई - मन ने तुमसे संवाद किया -
पल को भी मन की नम आखों से - ना हो पाए तुम ओझल साथी -
आस हुई मध्यम संग संग - ये नैना हुए सजल साथी !!!!
प्रिय के याद में मन के संवाद शब्दों में ढल अप्रितम बन गये हैं |सस्नेह बधाई और मेरा प्यार |
मेरी प्यारी दी आपकी यह मनमोहक रचना हम पढ़े हैं। बेहद दिलकश लिखा है आपने।
Deleteसादर आभार दी।
सस्नेह।
सादर आभार आदरणीय।
ReplyDeleteहद में रह हद से निकलता मन
ReplyDeleteदुनिया के शोर से अंजाना
तुमसे ही बातें करता मन..
बेहद दिलकश। चुभन, कसक, विवशता में अतुलित प्रेम का समिश्रण परोसती शानदार रचना।
क्या बात है ! क्या बात है ! बेहतरीन सृजन ! बहुत खूब आदरणीया ।
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