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Wednesday, 18 May 2022

तुमसे प्रेम करते हुए...(३)



सिलवट भरे पन्नों पर जो गीली-सी लिखावट है,
मन की स्याही से टपकते, ज़ज़्बात की मिलावट है।

पलकें टाँक रखी हैं तुमने भी तो,देहरी पर,
ख़ामोशियों की आँच पर,चटखती छटपटाहट है ।

लाख़ करो दिखावा हमसे बेज़ार हो जीने का,
नाराज़गी के मुखौटे में छुप नहीं पाती सुगबुगाहट है।

मेरी नादानियों पर यूँ सज़ा देकर हो परेशां तुम भी
सुनो न पिघल जाओ तुम पर जँचती मुस्कुराहट है।

-श्वेता सिन्हा


27 comments:

  1. वाह! बहुत सुंदर!!!

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  2. मेरी नादानियों पर यूँ सज़ा देकर हो परेशां तुम भी
    सुनो न, पिघल जाओ तुम पर जँचती मुस्कुराहट है।
    हाय ! इस मासूमियत पर कौन ना मर जाए ऐ खुदा!!

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  3. मेरी रचना पर आपकी टिप्पणी स्पैम में भी नहीं मिली। गूगलेश्वर महाराज खा गए शायद।

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  4. नाराज़ भी होते हैं और खुद परेशां भी होते हैं ।
    ज़ज़्बातों को लपेट हम ज़ार ज़ार रोते हैं
    ये तहतीर जो लिखी है अश्कों की स्याही से
    देखो न बस हम तेरी इक मुस्कान को तरसते हैं ।

    कुछ ऐसा से लगा पढ़ कर ......लाजवाब 👌👌👌👌

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  5. पलकें टाँक रखी हैं तुमने भी तो,देहरी पर,
    ख़ामोशियों की आँच पर,चटखती छटपटाहट है ।
    वाह!!!

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  6. मेरी नादानियों पर यूँ सज़ा देकर हो परेशां तुम भी
    सुनो न पिघल जाओ तुम पर जँचती मुस्कुराहट है।
    तुम्हारी मुस्कराहट देखने की आरजू दिल को....
    बहुत ही लाजवाब सृजन।

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  7. बेहतरीन रचना।

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  8. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार(२०-०५-२०२२ ) को
    'कुछ अनकहा सा'(चर्चा अंक-४४३६)
    पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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  9. एक एक शब्द एक से बढ़कर एक।

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  10. वाह! बहुत ही बेहतरीन।

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  11. बहुत सुन्दर श्वेता !
    मान-मनौअल का, अपना आनंद है. एक पुराना नग्मा याद आ रहा है -
    'तुम रूठी रहो, मैं मनाता रहूँ, मज़ा जीने का और भी आता है ---'

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  12. प्रेम में पड़े रहना और प्रेम में जीने की कला सिखाती
    बेहद खूबसूरत रचना

    कमाल का सृजन
    बधाई

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  13. वाह!श्वेता ,अद्भुत!!

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  14. तुम्हारी मुस्कराहट देखने की आरजू दिल को....
    बहुत ही लाजवाब सृजन

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  15. शानदार भावों को अस्आर में पिरोया है आपने प्रिय श्वेता।
    बहुत सुंदर सृजन।
    मन की स्याही से टपके ज़ज़्बात लाजवाब।

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  16. लाख छुपाओ, छुप न सकेगा, राज़ ये दिल का गहरा !!☺️☺️
    सुंदर रचना।

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  17. मेरी नादानियों पर यूँ सज़ा देकर हो परेशां तुम भी
    सुनो न पिघल जाओ तुम पर जँचती मुस्कुराहट है।
    ...वाह बहुत बढ़िया, नजाकत नफासत भरी रचना ।

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  18. प्रेम के हजार फूलों को निचोड़कर लाई गई इत्र सी है ये मुस्कुराहट... उठी खुश्बू के लिए अब क्या कहना.....

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  19. शेफालिका उवाच से विभा नायक10:35 pm, May 30, 2022

    वाह मुझे तो प्रेम हो गया

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  20. बेहतरीन अभिव्यक्ति

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  21. कोमल भावों से सजी मधुर सरस कृति ।

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  22. डॉ विभा नायक5:28 pm, June 08, 2022

    वाह क्या खूब लिखा है, काश मैं भी ऐसा कुछ लिख पाती🌹

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  23. वाह! अंतिम शेर सबसे प्यारा है!

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  24. सिलवट भरे पन्नों पर जो गीली-सी लिखावट है,
    मन की स्याही से टपकते, ज़ज़्बात की मिलावट है।///
    रूहानी एहसासों की सुन्दर और भावपूर्ण अभिव्यक्ति प्रिय श्वेता।अच्छा लगा पढ़कर

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  25. अंतिम पंक्ति सबसे मधुर लगी! बहुत सुंदर कविता

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आपकी लिखी प्रतिक्रियाएँ मेरी लेखनी की ऊर्जा है।
शुक्रिया।