मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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आत्मा की आवाज़... महामारी # व्यथित मन# छंदमुक्त कविता
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Saturday, 24 April 2021
आत्मा
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आत्मा को ललकारती चीत्कारों को अनसुना करना आसान नहीं होता ... इन दिनों सोचने लगी हूँ एक दिन मेरे कर्मों का हिसाब करती प्रकृति ने पूछा कि- महा...
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