मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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कैसे जीवन जीना हो..?छंदयुक्त कविता
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Monday, 13 January 2020
कैसे जीवन जीना हो?
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नैनों में भर खारे मोती विष के प्याले पीना हो, आशाओं के दीप बुझा के कैसे जीवन जीना हो..? मन के चाहों को छू-छूकर चिता लहकती...
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