मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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तोड़कर तिमिर बंध....छंदमुक्त कविता
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Monday, 10 June 2019
तोड़कर तिमिर बंध
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चीर सीना तम का सूर्य दिपदिपा रहा तोड़कर तिमिर बंध भोर मुस्कुरा रहा उठो और फेंक दो तुम जाल जो अलसा रहा जो मिला जीवन से उसको ...
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