मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
Pages
(Move to ...)
Home
प्रकृति की कविताएं
दार्शनिकता
छंदयुक्त कविताएँ
प्रेम कविताएँ
स्त्री विमर्श
सामाजिक कविता
▼
Showing posts with label
दर्दभरी कविता
.
Show all posts
Showing posts with label
दर्दभरी कविता
.
Show all posts
Saturday, 28 October 2017
तुम बिन.....
›
चित्र साभार गूगल तुम बिन बड़ी उदासी है। नयन दरश को प्यासी है।। पवन झकोरे सीले-सीले, रूत ग़मगीन ज़रा-सी है। दरवाज़ें है बंद लबों...
41 comments:
Tuesday, 24 October 2017
शब्द हो गये मौन
›
शब्द हो गये मौन सारे भाव नयन से लगे टपकने, अस्थिर चित बेजान देह में मन पंछी बन लगा भटकने। साँझ क्षितिज पर रोती किरणें रेत प...
24 comments:
›
Home
View web version