मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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Saturday, 16 June 2018
पापा
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जग सरवर स्नेह की बूँदें भर अंजुरी कैसे पी पाती बिन " पापा " पीयूष घट आप सरित लहर में खोती जाती प्लावित तट पर बिना पात्...
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