मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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मरते सपने....अतुकांत कविता
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Sunday, 1 July 2018
मरते सपने
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बीतती उम्र के खोल पर खुशियों का रंग पोते मैं अक्सर फड़फड़ाता हूँ मुस्कुराता हूँ चहककर अपने लिये तय दायरों में थकाऊ,उबाऊ रा...
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