मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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हम नहीं शर्मिंदा हैं.....छंदयुक्त कविता
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Sunday, 5 January 2020
हम नहीं शर्मिंदा हैं
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-----– हम हिंदु मुसलमान में ज़िंदा हैं हिंदुस्तान के मज़हबी बाशिंदा हैं लाशों पर हाय! हृदयहीन राजनीति कौन सुने मज़लूमों की आपबीती? ...
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