मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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Wednesday, 18 October 2017
शहीद....हायकु
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हमारे लिए दीवार बने खड़े वीर जवान बुझा दीपक शहीद के घर में कैसी दिवाली जला के दीप शहीदों के नाम पे सम्मान देना ...
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Wednesday, 11 October 2017
कूची है तारे....हायकु
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सिवा ख़ुद के कुछ भी न पाओगे आँखों में मेरी भरी पलकें झुका लूँ मैं वरना तुम रो दोगे आदत बुरी पाल ली है दिल ने बातों की...
25 comments:
Tuesday, 25 July 2017
सावन-हायकु
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छेड़ने राग बूँदों से बहकाने आया सावन खिली कलियाँ खुशबु हवाओं की बताने लगी मेंहदी रचे महके तन मन मदमाये है हरी चुड़ियाँ...
14 comments:
Monday, 17 July 2017
हायकु
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आवारा मन भटके आस पास बस तेरे ही कोई न सही पर हो सब तुम मानते तो हो तुम्हें सोचूँ न ऐसा कोई पल हो जाना ही नहीं ...
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